झारखंड के आदिवासियों ने 1855 में ही किया था विद्रोह: अजय तिर्की

'अंग्रेजों के खिलाफ की गई हूल क्रांति में लगभग 20 हजार आदिवासियों ने दिया था बलिदान'

हूल दिवस के अवसर पर केंद्रीय सरना समिति ने किया सिद्धू-कान्हू पार्क में माल्यार्पण

रांची: गुरुवार (30 जून, 2022) को हूल दिवस के अवसर पर केन्द्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की के नेतृत्व में रांची स्थित सिद्धू -कान्हू पार्क परिसर में "सिद्धू -कान्हू" प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया।

इस अवसर पर अजय तिर्की ने अपने संबोधन में कहा कि झारखंड के आदिवासियों ने 1855 में ही विद्रोह का झंडा बुलंद कर दिया था। 30 जून, 1855 को सिद्धू और कान्हू के नेतृत्व में मौजूदा साहेबगंज जिले के भगनाडीह गांव से विद्रोह शुरू हुआ था। इस मौके पर सिद्धू ने नारा दिया था - 'करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो'।

उन्होंने कहा कि जिस दिन झारखंड के आदिवासियों ने अंग्रेजों के खिलाफ हथियार उठाया था यानी विद्रोह किया था, उस दिन को 'हूल क्रांति दिवस' के रूप में मनाया जाता है। इस युद्ध में करीब 20 हजार आदिवासियों ने अपनी जान दे दी थी।

इस कार्यक्रम में मुख्य रूप से महासचिव संतोष तिर्की, कोषाध्यक्ष प्रकाश हंस, सचिव रूपचन्द्र, राहुल उरांव, मन्नू तिग्गा, झरिया उरांव, अजीत उरांव, मुन्ना उरांव, दिनेश कच्छप, पूरन उरांव, जयंत कच्छप, सचिन कच्छप एवं उपाध्यक्ष नवनीत उरांव उपस्थित रहे।

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